पशुओं में यूरिया शीरा खनिज लवण ईट की उपयोगिता

यूरिया शीरा खनिज लवण ईट

भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। जिसकी ज्यादातर कृषि मानसून पर आधारीत है। भारत मे बरसात से होने वाले पानी का ढंग से ठहराव नही होने के कारण इसका ज्यादातर पानी वापिस बिना उपयोग के ही खराब हो जाता है। इस कारण से भारत मे अनुमान व मेहनत के अनुसार कृषि से उतना उत्पादन नही हो पाता जितना कि होना चाहिए। मानसून आधारित कृषि के कारण भारत देश मे ज्यादातर सूखे या अकाल की स्थिति बनी रहती है। जिससे कि अनाज के उत्पादन के साथ-साथ पशुओं के चारे की भी वर्ष भर कमी बनी रहती है। इस वर्षभर की कमी को देखते हुए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) ने यूरिया शीरा खनीज लवण की ईट का निर्माण किया जो कि पशु को वर्षभर प्रोटीन, उर्जा व खनीज तत्वों की पूर्ति करता रहता है। जिससे कि पशु जिन्दा रहने के साथ-साथ उत्पादन भी कर सकता है।

संगठन

यूरिया                          10 भाग
शीरा                            50 भाग
गेहूं की चापड                20 भाग
बाईण्डर                       10 भाग
खनिज लवण                 05 भाग
नमक                           05 भाग

  • यूरिया – यूरिया नोननाइट्रोजन प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत है। जो कि रूमिनेन्ट (गाय,भैस) पशुओं को नाइट्रोजन प्रदान करता है। इस नाइट्रोजन का रूमिनेन्ट पशुओं मे उपस्थित रूमन भाग द्वारा इसमे उपस्थित सूक्ष्म जीवियों द्वारा इसको प्रोटीन मे बदल दिया जाता है। इसलिये रूमिनेन्ट पशुओं मे यूरिया प्रोटीन के स्त्रोत के रूप मे इस्तेमाल करते है।
  •  शीरा – ये कार्बोहाइडेªट का एक उच्च स्त्रोत है। जो कि उर्जा प्रदान करने का कार्य करता है।
  • गेहूं की चापड – ये भी कार्बोहाइड्रेट का एक स्त्रोत है। जो कि उर्जा प्रदान करने का कार्य करती है।
  • बाईन्डर – इसका इस्तेमाल इस ईट को मजबूत बनाने मे किया जाता है। क्योंकि इस ईट मे यूरिया की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसलिये इस ईट को सिर्फ पशु को चटाने के लिये दिया जाता है। उसे खिलाया नही जाता। यदि इस ईट को पशु के द्वारा खा लिया जाये तो उसमे यूरिया विषाक्तता हो जाती है जिससे कि पशु कि मृत्यु भी हो सकती है।
  • खनिज लवण एवं नमक – इसको मिलाने से ये पशुओ मे आवश्यक खनिज तत्वों की पूर्ति करते है जो कि उनके दैनिक कार्य करने के लिए सहएन्जायम के रूप मे काम करती है।

खिलाने से उद्देश्य 

  • पशु को सूखा ग्रस्त या अकाल की स्थिति मे जिन्दा रखने के लिए।
  • इससे पशु को प्रोटीन की पूर्ति होती रहती है जिससे कि पशु की शारिरीक वृध्दि एवं विकास बराबर बना रहता है।
  •  प्रोटीन की पूर्ति के कारण इनके उत्पादन पर भी ज्यादा असर नही पडता।
  • खनिज लवण की पूर्ति भी पशु को बराबर बनी रहती है जिससे कि उसमें बांझपन जैसी समस्या भी नही आती है।
  • साधारण अवस्था मे भी यदि पशु को इस ईट का उपयोग करवाते है तो इस ईट मे उपस्थित उच्च प्रोटीन, कार्बोहाड्रेट व खनिज लवण की मात्रा के कारण पशु का दूध उत्पादन, शारिरीक वृध्दि व बांझपन जैसी समस्याऐं दूर होती है।

डॉ. राजेश कुमार

स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,
पी.जी.आई.वी.ई.आर, जयपुर