गोबर जाँच द्वारा पशु रोग निदान

पशु रोग निदान

किसी भी समस्या के बाहरी लक्षणों से आरम्भ करके उसके  मूल कारण का ज्ञान करना निदान कहलाता है। निदान की विधि ‘विलोपन’ पर आधारित है। निदान का बहुत महत्व है। जब तक रोग की सटीक पहचान न हो जाए, तब तक सही दिशा में उपचार असंभव है। यह सही है कि अनेक रोग स्वयमेव अच्छे हो जाते हैं और प्रकृति की निवारक शक्ति को किसी की सहायता की अपेक्षा नहीं होती, परंतु अनेक रोग ऐसे भी होते हैं जिनमें प्रकृति असमर्थ हो जाती है और तब चिकित्सा द्वारा सहायता की आवश्यकता होती है। सही और सटीक चिकित्सा के लिए आवश्यक है कि निदान सही हो। सही निदान का अर्थ यह है कि कष्टदायक लक्षणों का आधारभूत कारण और उसके द्वारा उत्पन्न विकृति का सही रूप समझा जाए। शरीर के द्रव्यों का परीक्षण भी निदान के लिए अनेक जानकारियाँ देता है जिसके लिए  रक्त, मल, मूत्र, दूध, गोबर आदि का परीक्षण किया जाता है। गोबर निरीक्षण (Cow dung analysis) में गोबर के नमूने की सहायता से पाचन तंत्र की समस्याओं, पोषण अवशोषण में कमी, जीवाणु या विषाणु संक्रमण आदि बीमारियों का पता चलता है। यह भी याद रखना जरुरी है कि दवाइयों के सेवन से गोबर प्रभावित होता है, इसके रंग, गंध, आकार, मात्रा व अन्य रूपों में बदलाव देखने को मिल सकता है। इसलिए जांच से लगभग एक हफ़्ता पहले पशुओ को दवाइयों न देने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा एंटी- डायरियल, एंटी- पैरासाइट, एंटीबायोटिक व अन्य दवाओं का परहेज करना बहुत जरूरी है।

एक साधारण गाय, भैस एक दिन रात में 12 से 18 बार गोबर करती है, जिससे 20 से 40 कि.ग्रा. गोबर मिलता है। केवल गोबर का निरीक्षण करके (Cow dung analysis) आप पशु के पेट में चल रही चयापचय क्रिया तथा उसके आहार  के असंतुलन का पता कर सकते हैं।

लक्ष्ण संभावित कारण दिशानिर्देश समाधान
गहरे रंग का पतला गोबर आहार में जरूरत से ज्यादा प्रोटीन होना या रेषों की कमी आहार में प्रोटीन एवं रेषों का संतुलन बनाना
हल्के रंग का पतला गोबर ऑसिडोसिस (अफारा) आहार में रूमेन बफर या खमीर मिलाना।
सामान रूप से ढीला गोबर अधिक प्रोटीन या अपर्याप्त ऊर्जा आहार में प्रोटीन व ऊर्जा का संतुलन बनाना
सामान रूप से कड़ा गोबर अधिक रेशे या ऊर्जा। नमक की कमी, पानी कम पीना प्रोटीन या शुक्रोज की कमी या रेषों की मात्रा ज्यादा होना उत्पादन बढ़ाने के लिए आहार में पोषक तत्वों के घनत्व को बढ़ाना
बुलबुले युक्त  असमान गोबर अम्लरक्तता आहार में रूमेन बफर या खमीर मिलाना। आहारीय असंतुलन व शुश्क पदार्थ को देखें। एक ही समय में ज्यादा फीड न दें।
गोबर में अनाज के दाने दाने की पिसाई में कमी या ऑसिडोसिस दांतों की जाँच एवं आहार में रूमेन बफर या खमीर मिलाना।
बुलबुले युक्त दस्तावार गोबर, गाय का गन्दी होना अंतड़ीयों की टी.बी., ज्यादा फीड, पारगमन अवधि में कुप्रबन्धन नियन्त्रण के लिए पशु चिकित्सक से मिलें।
श्लेष्मायुक्त ताजा गोबर फंफूद विष साईलेज प्रबन्धन में सुधार। फीड के संघटकों को जांचें।
दस्त संक्रामक रोग, विष प्रयोग पशु चिकित्सक से मिलें।

गोबर का आंकलन (Cow Dung Analysis)

गोबर स्थिरता, पाचन तंत्र में क्या हो रहा है, का एक बहुत अच्छा संकेत है व यह दर्शाता है कि  पशु द्वारा कितनी कुशलता से राशन का इस्तेमाल कर रहा है। गोबर की नियमित निगरानी, सामान्य स्वास्थय और उत्पादन के साथ-साथ पशुओं के आहार संबंधी समस्याओं को पहचानने का एक उपयोगी तरीका है। एक ही साथ ब्याई हुई गायों में गोबर एक जैसा होना चाहिए। यदि किसी पशु में अम्लरक्तता (Acidosis in Cattle) होगी तो उसे दस्त लग जाएगें वह खाना छोड़ देगी। इससे रूमेन पारगमन धीमा हो जाता है व गोबर सख्त हो जाता है, वह दोबारा से भरपेट खाना खाती है जिससे रूमेन में समस्या होने से पशु को दस्त लगजाते हैं। इस प्रकार गोबर की विभिन्न प्रकार की स्थिरतता देखने को मिलती है। गोबर का आंकलन करते समय उसका आकार, बनावट व गन्ध पर विचार करना चाहिए।

Cow Dung analysis

1: ढीला पानी वाला दस्तावार गोबर

इस प्रकार को गोबर बीमारी को इंगित करता है, जिसके कई कारण हो सकते है । ऐसी स्थिति में कुल्हों पर गोबर लगा रहता है। गाय गोबर को एक चाप की तरह करती है। चारे में अधिक प्रोटीन व कम रेशे इस प्रकार के गोबर का कारण होते हैं। इसका एक कारण नरम घास होता है जिससे पशुओं में चपापचयी रोग का खतरा रहता है। पशु अतिरिक्त नॉन प्रोटीन नाईट्रोजन प्रक्रिया में ऊर्जा का उपयोग करते हैं जिससे उनमें स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं आ जाती हैं।

2कस्टर्ड की तरह का गोबर

इस प्रकार के गोबर में गोबर के छींटे जमीन पर दूरतक गिरते हैं तथा  गोबर का उचित ढेर नही बनता। कल्हों पर गोबर लगा रहता है। गोबर के ढेर की ऊँचाई 2.5 सेंटी मीटर से ज्यादा नही होती। पशु इस प्रकार का गोबर तब करते हैं जब वे रसीली, नरम घास खाते हैं या उनका खाना सन्तुलित न हो। पशुओं में चपापचयी रोग का खतरा रहता है।

3: आदर्श गाढ़ेपन वाला गोबर 

4 से 5 सेंटी मीटर ऊँचाई लिये दलिये की तरह होता है, जिसके ऊपर बीच में हल्का सा गड्डा बनता है। गोबर एक जगह पर हल्की सी आवाज के साथ गिरता है। पशु के कुल्हे साफ रहते हैं। यह जूते से नही चिपकता। ऐसा पशु रोगमुक्त होता है ।

4: गाढ़ा व भारी गोबर 

इस प्रकार का गोबर जमीन पर गिरने से 5 सेंटी मीटर सेज्यादा ऊँचाई का ढेरनुमा आकार बनाता है, जो जूते के तलवे पर चिपकता है व जूते का निशान उस पर झूट जाता है। दूध से छोड़ी गयी गायों के लिए इस प्रकार का गोबर ठीक है। लेकिन दूध देने वाली गायों में आहारीय असंतुलन को दर्शाता है। इस प्रकार का उन पशुओं में देखने को मिलता जिनमें प्रोटीन की मात्रा कम व रेशेदार तत्वों की मात्रा ज्यादा होती है।

5: सख्त गोबर

इस प्रकार का गोबर बिस्कुट की तरह सख्त व गेंद की तरह का ढेर बनाता है व इस पर जूते का निशान उस पर झूट जाता है। दूध देने वाली गायों में अवांछनीय होता है। इस प्रकार का गोबर यह दर्शाता है कि चारे में प्रोटीन व ऊर्जा की कमी है व रेशेदार तत्वों की मात्रा ज्यादा है। इस तरह का गोबर करने वाले दूधारू पशुओं का दुग्ध उत्पादन (Milk Production) कम होता है। पशुओं में निर्जलीकरण इस समस्या को और ज्यादा बढ़ावा देता है। पशु के पाचन तंत्र में रूकावट होने पर इस प्रकार के लक्ष्ण देखने को मिलते हैं।


 

लेखक: डॉ. मुकेश श्रीवास्तव

पंडित दीनदयाल पशु चिकित्सा विज्ञानं विश्व विद्यालय एवं गौ अनुसन्धान, मथुरा