सूखे चारे मे पोषक तत्व बढ़ाने की विधि

शुष्क प्रदेश होने के चलते भारत मे पशुओ को वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध नही हो पाता हैं। साधारणतया गेहूं की तुड़ी, बाजरा-मक्का की कडबी और चावल की पुवाल पशु को सूखे चारे के रूप में खिलाते है। लेकिन, उनमे पोषक तत्वों की कमी रहती है। पशुपालको को प्रशिक्षित कर तुड़ी अथवा सूखे चारे को यूरिया और यूरिया मोलासेस से उपचारित कर इनका पोषण मान बढाया जा सकता है। जिससे पशु की प्रोटीन और ऊर्जा की आवश्यकता पूर्ति की जा सकती है।

तुड़ी को यूरिया द्वारा उपचारित करना

सर्वप्रथम 4 किलो यूरिया को 40 लीटर पानी में घोल लेते है। तत्पश्चात 100 किलो तुड़ी को फ र्श पर 3-4 इंच मोटाई में फैला लेते है। इसके बाद 40 लीटर यूरिया के घोल को झारे अथवा हाथ से तुड़ी पर छिडकाव कर पैरो से अच्छी तरह दबा दिया जाता है। अधिक मात्रा में यूरिया द्वारा उपचारित चारा तैयार करने के लिए इस विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इसके बाद इस चारे को प्लास्टिक की सीट से अच्छी तरह दबाकर ढक दिया जाता है। जिससे अन्दर की हवा बाहर और बाहर की हवा अन्दर प्रवेश न कर सके। इस उपचारित चारे को गर्मियों में 21 दिन पश्चात और सर्दियों में 28 दिन पश्चात खिलाया जा सकता है। खिलाने से पहले उपचारित चारे को हवा में अच्छी तरह फैला दिया जाता है। ताकि, अमोनिया गैस बाहर निकल जाएं। शुरुआत में पशु को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में चारा खिलाना शुरू करते है। जब पशु अच्छे से चारे को चाव से खाने लगता है। तब मात्रा बढ़ाई जा सकती है। उपचारित चारे को खिलाने से पशुओ के लिए आवश्यक प्रोटीन, उसके पेट में रहने वाले जीवाणुओ द्वारा नाइट्रोजन को काम में लेकर उपलब्ध करवाई जाती है। इस उपचारित चारे को खिलाकर पशुओ का शारीरिक रखरखाव आसानी से हो सकता है और दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है। जुगाली ना करने वाले पशुओ और 6 माह से छोटे बछडे- बछडियो को यूरिया उपचारित चारा नहीं खिलाना चाहिए।

यूरिया-मोलासेस उपचारित चारा

यूरिया मोलासेस उपचारित चारा प्रोटीन, नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत है। जिसमें पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा, खनिज लवण और विटामिन होते है। जुगाली करने वाले पशु के रुमन में सूक्ष्म जीव बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ, कवक इत्यादि होते है। इनके लिए मोलासेस ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। साथ ही, यूरिया पशु के रुमन में हाइड्रोलायसिस से अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है। जो इन सूक्ष्म जीवो के लिए नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत होता है। इससे सूक्ष्म जीव उच्च गुणवता की माइक्रोबियल प्रोटीन बनाते है। जो पशुओ के काम आती है।

यूरिया-मोलासेस उपचारित चारे के प्रमुख संघटक

प्रति 100 किलोग्राम चारे हेतु
यूरिया- 2 किलो
मोलासेस अथवा शीरा(गुड)- 10 किलो
पानी-10 किलो
खनिज तत्व-1 किलो
नमक-1 किलो

निर्माण की विधि

सबसे पहले 2 किलो यूरिया को 10 किलो पानी में घोल लें। इस घोल को 10 किलो मोलासेस में डालकर अच्छी तरह मिश्रित कर लें। अब इसमें 1 किलो नमक और 1 किलो खनिज तत्व मिला लें। यह मिश्रण 100 किलो चारे के लिए पर्याप्त है। सूखे चारे को छोटे-छोटे टुकडो में काट लेवे और दो से तीन इंच की परत में फैला लें। अब सूखे चारे पर मिश्रण अथवा घोल का आधा भाग छिड़ककर 30 मिनट तक सूखने देवे। जिस से घोल चारे पर चिपक जाये। अब चारे को उल्टा-पुल्टा कर शेष बचे आधे मिश्रण का भी छिडकाव कर देवे। इसे सुखाकर भण्डारण कर लेंवे। इसके बाद पशुओ को आवश्यकता के अनुसार खिलाया जा सकता है

यूरिया-मोलासेस मिनरल ब्लाक का निर्माण

संघटक प्रतिशत मात्रा
गेंहू की चापड़ 40
मोलासेस (शीरा) गुड 38
यूरिया 10
सीमेंट पाउडर 10
खनिज तत्व 1
नमक 1
विटामिन ए और डी 10 ग्राम प्रति क्विंटल

ब्लाक निर्माण विधि

यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लाक निर्माण की दो विधियों (गर्म-ठंडी ) में से ठंडी विधि अधिक सस्ती और फायदेमंद है। ब्लॉक निर्माण के लिए सबसे पहले मोलासेस लेकर इसमे पानी डालकर पतला किया जाता है। घुले हुए मोलासेस में नमक खनिज तत्व और यूरिया को मिश्रित किया जाता है। इसके बाद इसमे गेंहू की चापड़ को अच्छी तरह समान रूप से मिलाते है। अब इसमे सीमेंट पाउडर केल्सायिट मिश्रित किया जाता है। इस मिश्रण को लकड़ी अथवा मशीन के सांचो में डालकर दबा दिया जाता है। आजकल यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लाक बनाने हेतु लघु मशीन भी उपलब्ध है। तैयार ब्लॉक की बड़े पशुओ को 500 ग्राम और भेड़-बकरी के लिए 100 ग्राम मात्रा प्रतिदिन पर्याप्त रहती है।

यूरिया -मोलासेस उपचारित चारे महत्व

भारत मे ज्यादातर सूखे चारे पर ही पशुपालन किया जा रहा है। जिससे पशुओ को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते और वह कमजोर और रोग ग्रस्त रहते है। इसका सीधा प्रभाव उत्पादन पर पड़ता है। पशुपालन की ओर युवाओ को आकर्षित करने और इसको लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए। यूरिया मोलासेस उपचारित चारा सस्ता और संतुलित आहार होता है । जिससे पशु को ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज लवण और विटामिन प्राप्त होते है । इससे पशु के सुखा चारा खाने की मात्रा व पाचन क्षमता बढ़ जाती है। जुगाली करने वाले पशु के रुमन में सूक्ष्म जीव अधिक प्रोटीन का निर्माण करते है। जिससे प्रोटीन की आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है। यूरिया मोलासेस मिनरल ब्लाक सूखे चारे के साथ खिलने से मीथेन गैस उत्पादन कम किया जाकर वातावरण प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है ।

चारा खिलाते समय सावधानियां

यूरिया मोलासेस उपचारित चारे की मात्रा शुरू में कम देनी चाहिए। फि र धीरे-धीरे बढाई जानी चाहिए। इसमें नमी की मात्रा 10प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
यूरिया मोलासेस उपचारित चारे का निर्माण वैज्ञानिक विधियों से और निर्दिष्ट मात्रा के अनुसार ही होना चाहिए । इसका संग्रहण सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
जुगाली ना करने वाले और 6 माह तक के पशु को उपचारित चारा नहीं खिलाना चाहिए।
कभी-कभी दुर्घटनावंश पशु द्वारा अधिक यूरिया का सेवन कर लेने से रक्त में अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है। जिससे यूरिया विषाक्तता हो जाती है। इसके प्रमुख लक्षण मुंह से अधिक लार टपकना, आफ रा आना, मांस पेशियों में ऐठन, पशु का लडख़ड़ाना, श्वास लेने में दिक्कत इत्यादि है ।
यूरिया विषाक्तता के लक्षण प्रकट होते ही पशुचिकित्सक की सलाह से पशु को सर्वप्रथम 25 से 30 लीटर ठंडा पानी पिलाना चाहिए। फि र 100 से 200 मिली सिरका को 2-5 लीटर पानी में मिलाकर पशु को पिलाना चाहिए।

DR. RAJESH KUMAR SINGH

Jamshedpur, Jharkhand, India
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